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सांडवा के एडवोकेट पिलानिया ने चुरू पुलिस अधीक्षक से किया संवाद

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सांडवा के एडवोकेट पिलानिया ने चुरू पुलिस अधीक्षक से किया संवाद  

Advocate parmeshwar pilaniya talked through video confressing to churu sp parish deshmukh.

Churu Police द्वारा संचालित “बातां पुलिस सूँ” कार्यक्रम में भाग लेकर चूरु पुलिस अधीक्षक श्री पारिस देशमुख जी से संवाद किया। उम्मीद के अनुरूप ही सकारात्मक जवाब मिला…

मैंने जिन मुद्दों के सम्बंध में बात की उन मुद्दों को इस कार्यक्रम के दिशा निर्देशों के अनुसार पुलिस द्वारा गोपनीय रखा जाएगा लेकिन मैंने लगभग सार्वजनिक बिंदुओं के सम्बंध में चर्चा की थी इसलिए मैं मेरे द्वारा पुलिस अधीक्षक महोदय के समक्ष रखे गए मुद्दों को सार्वजनिक करता हूँ…

1. #हेलमेट:- मेरा तर्क ये था कि Motorcycle से होने वाली दुर्घटनाओं में हो रही मोतों का मुख्य कारण है हेलमेट नहीं लगाना, पुलिस को देखकर लोग हेलमेट लगाते हैं। हेलमेट को लोग Motorcycle में पेट्रोल से भी ज़्यादा ज़रूरी माने ऐसे इंतज़ाम करने की, मैंने मांग की जिस पर वो सहमत हुए और कहा कि इसकी सुचारु पालना की जाए इसकी कोशिश करूँगा।

2. #थानों में प्राप्ति रसीद नहीं देना:- मैंने कहा कि पुलिस थाने में कोई भी सूचना दो, प्राप्ति रसीद नहीं देते और कुछ कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मी गर्व के साथ कहते हैं कि हम प्राप्ति रसीद नहीं देते तो पुलिस अधीक्षक महोदय ने कहा कि सभी थानों को प्राप्ति रसीद देने के लिए पाबंद किया हुआ है, आप बताओ कौनसे थाने में नहीं देते तो मैंने कहा कि सांडवा थाने में मुझे भी मना किया हुआ है और कई लोगों ने मुझे बताया है कि सांडवा थाने में प्राप्ति रसीद नहीं देते हैं इसकी पुष्टि आप किसी भी भेजकर भी कर सकते हो। ये बात सुनकर पुलिस अधीक्षक महोदय इस कार्यप्रणाली पर नाराज़ हुए और कहा मैं चेक करवा लेता हूँ, दुबारा ये समस्या नहीं आएगी।

3. #संज्ञेय अपराध की सूचना पर तत्काल FIR दर्ज नहीं करना:- इस पर उन्होंने कहा कि सभी थानाधिकारियों को तत्काल FIR दर्ज करने के आदेश है और दुबारा ये शिकायत नहीं आए इसके प्रयास करूँगा।

4. #FIR में सही धाराएँ नहीं लगाना और FIR देरी से दर्ज करना:- मैंने कहा कि इसका सबसे ज़्यादा फ़ायदा आरोपी को मिलता है जो संभवतः अप्रत्यक्ष रूप से सम्बंधित SHO की मिलीभगत है। इस पर उन्होंने कहा कि वैसे तो सही धाराएँ लगाने और तत्काल FIR दर्ज के निर्देश है फिर भी कोई SHO नहीं करता है तो आप कभी भी बता सकते हो दोषी के विरुद्ध तत्काल कार्यवाही की जाएगी।

5. #राजलदेसर थाने में दर्ज FIR संख्या 197/2020:- मैंने बताया कि ये FIR दर्ज हो ही नहीं सकती क्योंकि इसके सम्बंध में सम्बंधित विभाग का FIR से ठीक पहले का परिपत्र जारी किया हुआ है तो उन्होंने चेक करवाकर उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।

6. #किसी भी बस स्टेशन पर पहुँचते समय बसों की स्पीड को नियंत्रित करने के सम्बंध में बताया तो तत्काल निर्देश देने का आश्वासन दिया।

7. #छेड़छाड़ व बलात्कार के मामले कोर्ट से दर्ज होना:- छेड़छाड़ व बलात्कार के मामले में तत्काल FIR दर्ज नहीं करने वाले थानाधिकारी के विरुद्ध 166A IPC के अपराध में FIR दर्ज हो सकती है जिसमें उस दोषी थानाधिकारी को दो वर्ष तक की जेल हो सकती है। मेरा कहना ये था कि छेड़छाड़ व बलात्कार के जो भी मामले कोर्ट से दर्ज होते हैं उनमें सम्बंधित थानाधिकारी के ख़िलाफ़ FIR अंतर्गत धारा 166A IPC दर्ज होनी चाहिए क्योंकि पीड़ित कोर्ट में परिवाद पेश करते समय शपथ पत्र देता है कि मैंने SHO और SP को इत्तिला दी है उन्होंने दर्ज नहीं किया तो कोर्ट के समक्ष परिवाद पेश कर रहा हूँ और इस बात की न्यायालय भी रिपोर्ट मंगाकर पुष्टि करता है। इसके उदाहरण में सांडवा थाने के कुछ मामले बताए। इस बात के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक महोदय ने आश्वस्त किया कि जाँच करवाकर उचित कार्यवाही की जाएगी।

8. #सांडवा थाने में FIR दर्ज करने की प्रक्रिया:- अंत में मैंने उनको सांडवा थाने में FIR दर्ज करने के चरणों के बारे में बताया कि कोई भी इत्तिला(अपराध की सूचना) मिलते ही आरोपी को बुलाकर धमकाते हैं तो वो संभवतः राजीनामा करवाने के लिए साहब से डील करता है जिस पर सम्भवतः डील फ़ाइनल होने के बाद उससे पहले वाली इत्तिला के परिवादी के विरुद्ध झूठा मुक़दमा दर्ज करने हेतु ऐप्लिकेशन लेते हैं फिर पहले वाले परिवादी को कॉल करके कहते हैं कि आपके ख़िलाफ़ भी वो मुक़दमा दर्ज करवा रहा है अब बताओ क्या करना है, इस पर वो दबाव में साहब के कहे अनुसार राजीनामा कर लेता है तो ठीक है अन्यथा झूठे वाला मुक़दमा पहले दर्ज कर सच्चे वाला बाद में दर्ज करते हैं जिसका अप्रत्यक्ष रूप से आरोपी को लाभ मिलता है क्योंकि उसकी तरफ़ वाली झूठी FIR पहले दर्ज हुयी होती है। फिर वास्तव में जिसको न्याय चाहिए उसको अवांछनीय परेशान करते रहते हैं और फिर भी नहीं मानता तो अंत में या तो दोनों(झूठा और सच्चा) मामलों में नकारात्मक FR दे देते हैं या दोनों मामलों में ही चालान। दोनों ही परिस्थितियों में पीड़ित के साथ अन्याय होता है। इस तर्क के सम्बंध में मैंने जनवरी के बाद सांडवा थाने में दर्ज हुयी सभी FIR की प्रतियाँ निकालकर शोध किया है जिसमें सामने आया है कि लगभग 50-60% से अधिक मामलों में क्रॉस केस दर्ज हुए हैं जबकि इससे पहले ये आँकड़ा लगभग 20% के आसपास था। इस बात पर पुलिस अधीक्षक महोदय अत्यधिक गम्भीर हुए और बोले मैं जाँच करवा लेता हूँ।

मेरे सभी मुद्दों के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक महोदय ने सकारात्मक प्रत्युत्तर देते हुए तत्काल कार्रवाही के लिए आश्वस्त किया और मुद्दे बताने के लिए सराहना भी की। मैं आसा करता हूँ पुलिस अधीक्षक महोदय सभी मुद्दों पर नियमानुसार कार्यवाही करेंगे।

इस पहल के लिए मैं पुलिस अधीक्षक महोदय का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ और अन्य सभी अधिकारियों से निवेदन करता हूँ कि आप भी ऐसी ही कोई सुविधा करें जिससे आम आदमी आपसे जुड़कर धरातल की समस्याएँ साझा कर सके ।

साभार

एडवोकेट प्रमेश्वर पिलानियाँ

राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर।

मो. 9982791117

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