यूँ ही कोई महान शख्सियत नही बन जाता – ठाकुर गुमान सिंह राठौड़
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सांडवा ठाकुर गुमान सिंह राठौड़ |
आज हर कोई मौन है।भयभीत है।पता नही क्यों?
सोशल साइट से लेकर गाँव के अन्तिम किनारे तक सन्नाटा है।
ठाकुर गुमान सिंह जी नही रहे। किसी को विश्वास नही हो रहा जीवन शतक के करीब पहुंचने वाला वह व्यक्ति जो एक आदर्श था हर ग्रामवासी के लिए।
90 से ऊपर उम्र के बाद भी अपनी दिनचर्या में कोई बदलाव नही…. खान-पान,नियमित योग , नैतिकता पूर्ण बात….
अक्सर उनके साथ बहुत बार बाते करने का अवसर मिला… उन्होंने अपने जीवनकाल की बहुत बाते मेरे साथ शेयर की।
उनकी एक बात बहुत स्मरणीय है हमेशा आदमी को लँगोट का पक्का रहना चाहिए और गलतियां समाज माफ़ कर सकता है या भुला सकता है लेकिन लँगोट की कमजोरी नही भूला सकता है।
जब लोकतंत्र का पहला सरपंच का चुनाव लड़ा गया तो एक नोहरे में सभी लोगो को एक साथ बैठाकर हाथ खड़ा करवाया जाता था समर्थन वोट से नही हाथों से होता था । उस समय मुझे ही लोगो ने खुले मंच से हाथ खड़े करके सरपंच बनाया।
मैंने उनसे पूछा कि जातिवाद बहुत है तो उन्होंने कहा जब से यह मोबाइल चला है तब से ज्यादा हुआ है। साण्डवा ग्राम पंचायत भवन का उद्घाटन मैंने भोमपुरा के जाट से ही करवाया था।(उन्होंने नाम भी बताया था लेकिन मुझे अब याद नही)
ठाकुर गुमान सिंह जी ने अपने वृद्धावस्था में दो पुत्रों को खोया लेकिन उन्होंने कभी जीवन पथ पर वे कमजोर प्रतीत नही हुए लेकिन दो जवान पुत्रों के असामयिक निधन से वे अन्दर से टूट गए।
हर जुबाँ पर यह बात है ठाकुर गुमान सिंह जी से गाँव का एक अलग स्थान था। हमारे जैसे युवा जो इस उम्र में भी 12 घण्टे सोकर योग नही करते उनको प्रेरणादायक व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए 90 से ज्यादा उम्र के बाद भी उनकी दैनिक क्रिया में कोई बदलाव नही आया।
अचानक बीमार होने पर उनको दुर्लभजी अस्पताल
में भर्ती करवाया गया था। ईलाज भी हो चुका था।गाँव की मिट्टी की गोद में आज उनकी आत्मा परमात्मा मिलन की दिव्य यात्रा के लिए प्रस्थान कर गई।
ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे…..
उनके परिजनों और ग्रामवासियों को इस दुःख की घड़ी में मजबूती प्रदान करें।
आप का अपना…
जुगल प्रजापति।
स्तम्भकार-कलम यूँ ही चलेगी।
साण्डवा(चूरू)