कातर
कातर के मुख्य बस स्टेण्ड पर यहाँ के आवारा गौ सेवा सन्गठन के सदस्यों ने गो सेवा का अलग ही तरीका अपनाया है जिससे 70
आवारा गोवंश की सेवा कर रहे है
कातर के बस स्टेण्ड के पास लालगढ़ रोड पर यहाँ के आवारा गौ सेवा सदस्य ने सीमेंट से धुनें के लिये भट्टी बना रखी है हर रोज सुबह जल्दी यहाँ भट्टी में आग जलाकर बैठ जाते है इस सर्दी के मौषम में व् भीड़ भाड़ वाला स्थान होने के कारण सेंकडो लोग सर्दी दूर करने के लिये भट्टी के पास आते रहते आवारा गौ सेवा सन्गठन के सदस्य लोगो से उनकी इंछानुसार गौ सेवा के लिये आर्थिक मदद का चन्दा लेते रहते है लोग भी भट्टी से तप भी लेते है व् गौ सेवा के लिये दान भी कर देते है सुबह छः बजे से 10 बजे तक गो सेवा हेतु दान का काम चलता रहता है ऐसा हर रोज सुबह चलता रहता है लोगो ने इस कार्य की सराहना भी की व् कातर क्षेत्र में चर्चा का विषय भी बना हुआ है
70 गायो की सेवा
इन आवारा गो सेवको ने कातर में एक अस्थाई आवारा गौ शाला खोल रखी है जिसमे यहाँ के आवारा व् बीमार गो वन्स को रखते है इनकी सख्या 70 है जो इस भट्टी के पास चन्दा आता है उनसे ये शाळा चलती है इस चंदे आई राशी को चारा खल चूरी छप्परों पर खर्च करते रहते है जरूरतपड़ने पर बाजार से चन्दा भी कर लेते है की अनुकरणीय पहल
कातर
कातर के मुख्य बस स्टेण्ड पर यहाँ के आवारा गौ सेवा सन्गठन के सदस्यों ने गो सेवा का अलग ही तरीका अपनाया है जिससे 70 आवारा गोवंश की सेवा कर रहे है
कातर के बस स्टेण्ड के पास लालगढ़ रोड पर यहाँ के आवारा गौ सेवा सदस्य ने सीमेंट से धुनें के लिये भट्टी बना रखी है हर रोज सुबह जल्दी यहाँ भट्टी में आग जलाकर बैठ जाते है इस सर्दी के मौषम में व् भीड़ भाड़ वाला स्थान होने के कारण सेंकडो लोग सर्दी दूर करने के लिये भट्टी के पास आते रहते आवारा गौ सेवा सन्गठन के सदस्य लोगो से उनकी इंछानुसार गौ सेवा के लिये आर्थिक मदद का चन्दा लेते रहते है लोग भी भट्टी से तप भी लेते है व् गौ सेवा के लिये दान भी कर देते है सुबह छः बजे से 10 बजे तक गो सेवा हेतु दान का काम चलता रहता है ऐसा हर रोज सुबह चलता रहता है लोगो ने इस कार्य की सराहना भी की व् कातर क्षेत्र में चर्चा का विषय भी बना हुआ है
70 गायो की सेवा
इन आवारा गो सेवको ने कातर में एक अस्थाई आवारा गौ शाला खोल रखी है जिसमे यहाँ के आवारा व् बीमार गो वन्स को रखते है इनकी सख्या 70 है जो इस भट्टी के पास चन्दा आता है उनसे ये शाळा चलती है इस चंदे आई राशी को चारा खल चूरी छप्परों पर खर्च करते रहते है जरूरतपड़ने पर बाजार से चन्दा भी कर लेते है